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मलेरिया जागरूकता सप्ताह एवं विश्व मलेरिया दिवस मनाने के लिये जिला स्तरीय कार्यशाला आयोजित

टीकमगढ़ कलेक्टर सुभाष कुमार द्विवेदी की अध्यक्षता में आज जिला मलेरिया कार्यालय टीकमगढ़ में जिला स्तरीय कार्यशाला तथा मीडिया एडवोकेसी कार्यशाला का आयोजन किया गया। उल्लेखनीय है कि वैक्टर नियंत्रण में सर्व सहभागिता जरूरी हैं, इस उद्देश्य के साथ विश्व मलेरिया दिवस पर आज टीकमगढ जिले में मलेरिया जागरूकता सप्ताह एवं विश्व मलेरिया दिवस मनाने के लिये जिला स्तरीय कार्यशाला तथा मीडिया एडवोकेसी कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रजव्वलित कर किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये कलेक्टर द्विवेदी द्वारा कार्यशाला में उपस्थित कार्यकर्ताओ से अपेक्षा की गई कि मलेरिया उन्मूलन, फायलेरिया उन्मूलन के साथ-साथ किसी भी कार्यक्रम को केवल शासकीय कार्यक्रम नहीं माना जाये बल्कि इसे नैतिक जिम्मेदारी भी समझकर अपने योगदान हेतु आप सभी आगे आयें। यदि इसी तरह से पूर्ण मनोयोग के साथ कार्य किया गया। तब निश्चित रूप से शासन द्वारा तय लक्षित वर्ष 2027 मे इन बीमारियों के उन्मूलन करने मे जिले को पूर्ण सफलता अवश्य प्राप्त होगी। विशेष रूप से वैक्टर/मच्छर नियंत्रण में सर्व सहभागिता जरूरी हैं क्योंकि साफ पानी के प्रबंधन में ही इस समस्या का निदान हैं।
कार्यशाला में आमंत्रित जिले के पत्रकारों से एवम विशेष रूप से मीडिया प्रतिनिधियों से अपेक्षा की गई कि बदले हुये परवेश में जिले में मलेरिया के प्रकरण दर्ज नहीं हो रहे हैं, जो कि हर्ष का विषय है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में घरेलु छिड़काव, मच्छरदानी वितरण जैसी गतिविधियां जिले में अब प्रचलन में नहीं है, लेकिन मच्छरों की समस्या अवश्य है। ग्राम और नगरीय क्षेत्र में पंचायत और नगर निकायों को इस दिशा में स्वच्छता अभियान को गम्भीरता से चलाने की आवश्यकता हैं। विशेष रूप से नालियों की सफाई करने और दवाई डालने का कार्य सप्ताह में एक बार अवश्य किया जाना चाहिये। इस उदेश्य से पंचायत और नगर निकाय के पास पर्याप्त भौतिक और मानव संसाधन उपलब्ध हैं। उन्हें अमल में लाने की जरूरत हैं। मलेरिया विभाग इस कार्य में तकनिकी सहयोग करें।
मलेरिया अधिकारी एच.एम.रावत द्वारा बताया गया कि विश्व मलेरिया दिवस पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने घर, कार्यालय और परिवेश में मच्छर पैदा नहीं होने देगें। मलेरिया बीमारी की सूचना मिलते ही स्वास्थ्य विभाग को सूचित करेंगे। मलेरिया की जांच और उपचार सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर निःशुल्क हैं। जिले में बीमारी की सूचना मिलने पर रैपिड रिस्पांस टीम भेजकर और मैदानी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओ के सहयोग से लार्वा सर्वे और विनष्टिकरण के साथ अन्य सेवायें देकर और जागरूकता अभियान चलाकर स्वास्थ्य विभाग तत्काल कार्यवाही करता हैं। इस बारे में अन्य सभी विभाग, समाज और मीडिया प्रतिनिधि सभी का सहयोग अपेक्षित हैं क्योंकि वास्तव में मच्छर नियंत्रण की शुरूआत घर/कार्यालय से ही होनी चाहिए गर्म जलवायु होने के कारण बीमारी नहीं होने पर भी मच्छरों का पैदा होना स्वभाविक हैं। वर्तमान प्रावधानों के अन्तर्गत प्रयास कर और जन जागरूकता के द्वारा हम मच्छर को नियंत्रित कर सकते हैं। मलेरिया जागरूकता सप्ताह मनाने का उदेश्य यह हैं, कि छोटे-छोटे उपाय अपना कर मच्छरों को पैदा होने से रोकने के लिए हर घर, विद्यालय, छात्रावास एवं कार्यालय की अहम भूमिका होनी चाहिए। साफ पानी में ही मलेरिया, डेंगू, चिकुनगुन्या के मच्छर पैदा होते हैं। इसे ढ़क्कर रखकर अथवा बदलकर हम इन बीमारियों को रोक सकते हैं और गंदे पानी का निकास बनाकर अथवा मिटटी का तेल या जला हुआ तेल डालकर हम मच्छरो को आसानी से नियंत्रित कर सकते हैं।
कार्यशाला के अन्त में राष्ट्रीय फायलेरिया उन्मूलन हेतु सामुहिक दवा सेवन कार्यक्रम एवं वैक्टर जनित अन्य रोग नियंत्रण कार्यक्रमों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कार्यकर्ताओ को अतिथियों द्वारा प्रमाण पत्र प्रदान कर पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. के.एम.बरूण, सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक डॉ.अमित शुक्ला, डॉ.शान्तनु दीक्षित बी.एम.ओ बडागांव, प्रभारी मीडिया अधिकारी मनोज नायक, प्रिंट/इलेक्ट्रॉनिक/डिजिटल मीडिया के प्रतिनिधी, स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी, कर्मचारी, आशा, जी.एन.एम., एन.एस.एस. के कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

टीकमगढ़ दर्पण से गिरीश कुमार खरे की रिपोर्ट

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