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सांसद वीरेंद्र कुमार जी को कायस्थ समाज ने अवकाश को लेकर सौंपा ज्ञापन

प्रतिवर्ष वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को चित्रगुप्त प्रकटोत्सव मनाया जाता है। इसी दिन गंगा सप्तमी भी मनाई जाती है। सर्वविदित है कि भगवान श्री चित्रगुप्त जी कायस्थ समाज के अराध्य देवता है और भगवान ब्रह्मा जी के सत्रहवें पुत्र के रूप में उनका प्रादुर्भाव हुआ है। भगवान ब्रह्मा जी ने मानस (ध्यान) से अर्थात् पूरे मन की सामर्थ्य व बुद्धि का समन्वय किया तब भगवान श्री चित्रगुप्त जी का प्रादुर्भाव हुआ ब्रह्मा जी के थिए में जो चित्र (गुप्त) रहते हुए उनकी काया में स्थित रहे और उनसे उत्पन्न हुए वही चित्रगुप्त जी हैं और उनके 12 पुत्रों की संतानों के रूप में समूचे भारत में करीब 3 करोड़ कायस्थ हैं। चित्रगुप्त जी न्याय करने और दण्ड देने के देवता है। हर जीव के पुण्य और पाप का लेखा-जोखा रखते हुए उसके शुभ-अशुभ कर्मों के अनुसार उसका फल प्रदान करते हैं।
सनातन धर्म के वेदों पुराणों और उपनिषदों जैस ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, ब्रह्म पुराण, पद्म पुराण उत्तर व पाताल खंड, नारद पुराण, भविष्य पुराण ब्राह्म पर्व, वराहपुराण, मत्स्य पुराण, गरुड़ पुराण उत्तर धर्मकाण्ड, अग्नि पुराण, स्कन्दपुराण प्रभास खण्ड वाराह पुराण, शिव पुराण देवी भागवत पुराण अहिल्या कामधेनु संहिता, पारासर स्मृति, आश्वलायन गृहसूत्र और महाभारत अनुशासन पर्व में भगवान श्री चित्रगुप्त जी के प्रार्दुभाव, विवाह, संतान उत्पत्ति, कुल विस्तार आदि की कई प्रामाणिक जानकारियाँ मिलती है। आध्यात्मिक क्षेत्र की चित्रगुप्तवंशीय महाविभूतियाँ श्रीमन्त शंकर देव (आसाम के सर्वोच्च संत जो एकशरणनामधर्म महापुरूषीय सम्प्रदाय के संस्थापक), श्री देवचन्द्रजी महाराज (संस्थापक प्रणामी सम्प्रदाय), राय शालीग्राम (संस्थापक राधास्वामी सत्संग), श्री अरविन्दो घोष श्री परमहंस योगानंद श्री स्वामी विवेकानंद श्री स्वामी प्रभुपाद श्री महर्षि महेश योगी श्री प्रभात रंजन सरकार (संस्थापक आनन्दमार्ग), श्री रामचन्द्र मिशन या सहज मार्ग या हार्टफुलनेस मेडीटेशन के संस्थापक फतेहगढ़ के श्री रामचन्द जी उर्फ लालाजी और उनके उत्तराधिकारी शाहजहाँपुर के श्री रामचन्द्र जी उर्फ बाबूजी। इसी तरह राजनैतिक, सामाजिक आर्थिक शिक्षा, विज्ञान कला चिकित्सा सहित अन्य क्षेत्रों में अनेकों कायस्य विभूतियों ने देश की उन्नति प्रगति और विकास में अपना अमूल्य योगदान दिया है। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद लाल बहादुर शास्त्री, सुभाष चंद्र बोस रासबिहारी बोस, खुदीराम बोस, विपिन चन्द्रपाल, लाल हरदयाल जैसे कई कायस्थों ने देश के स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़कर भाग लिया और देश की स्वतंत्रता के लिये अपना बलिदान दिया। पुराने समय में राजा लेकर वर्तमान में प्रशासनिक सलाहकार, रणनीतिकार और नीति निर्माण में कायस्थों की बुद्धि ज्ञान, विवेक समझ और सूझ-बूझ का सर्वत्र लौहा माना जाता है। महोदय, आपसे विनम्र निवेदन है कि देश-विदेश में कायस्थ समाज और चित्रांश विभूतियों के अविस्मरणीय, अकल्पनीय और अतुलनीय योगदान को देखते हुए वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को समूची मानव जाति को चित्रगुप्त प्रकटोत्सव हर्षोल्लास से मनाये जाने देने के लिये एक दिवसीय ऐच्छिक अवकाश की विधिवत रूप से घोषणा कर उसे लागू किया जाये।
वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि इस बार दिनाँक 27 अप्रैल 2023 को आ रही है।
ज्ञापन देने वालों में अखिल भारतीय कायस्थ महासभा प्रदेश महामंत्री राघवेंद्र खरे जिला अध्यक्ष कार्तिक खरे जिला सचिव मुकेश खरे महामंत्री अजय खरे राजेश खरे सतीश खरे गिरीश खरे संजय खरे राजेंद्र खरे हेमंत खरे प्रवीण खरे विनायक खरे राजेश खरे मनोज खरे आशीष खरे एवं मातृशक्ति से श्रीमती अंजली वर्मा प्रीति खरे अलका खरे कल्पना खरे रजनी खरे रुचि खरे मीरा खरे सुनीता प्रियंका खरे रचना सक्सेना सहित काफी संख्या में पुरुष एवं महिलाएं उपस्थित रहे

टीकमगढ़ दर्पण से गिरीश कुमार खरे की रिपोर्ट

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