टीकमगढ़ । शहर के नूतन विहार कॉलोनी डोंगा पर सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा महोत्सव के छठे दिन रविवार को कथा वाचक दुष्यंत महाराज ने श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह प्रसंग सुनाया
गोपियों संग रासलीला कंस वध गुरुकुल में शिक्षा अध्ययन जरासंध से युद्ध 17 बार युद्ध करके पृथ्वी के भार को उतारना, कालयवन का उद्धार एवं मथुरा को छोड़कर द्वारिका नाम की नगरी बसाकर रुकमणी जी से विवाह आदि का प्रसंग वर्णन किया गया।
कथावाचक ने कहा कि गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण से उन्हें पति रूप में पाने की इच्छा प्रकट की। भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों की इस कामना को पूरी करने का वचन दिया। अपने वचन को पूरा करने के लिए भगवान ने महारास का आयोजन किया। इसके लिए शरद पूर्णिमा की रात को यमुना तट पर गोपियों को मिलने के लिए कहा गया। सभी गोपियां सज-धजकर नियत समय पर यमुना तट पर पहुंच गईं। कृष्ण की बांसुरी की धुन सुनकर सभी गोपियां अपनी सुध-बुध खोकर कृष्ण के पास पहुंच गईं। उन सभी गोपियों के मन में कृष्ण के नजदीक जाने, उनसे प्रेम करने का भाव तो जागा, लेकिन यह पूरी तरह वासना रहित था। इसके बाद भगवान ने रास आरंभ किया। माना जाता है कि वृंदावन स्थित निधिवन ही वह स्थान है, जहां श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। यहां भगवान ने एक अद्भुत लीला दिखाई थी, जितनी गोपियां उतने ही श्रीकृष्ण के प्रतिरूप प्रकट हो गए। सभी गोपियों को उनका कृष्ण मिल गया और दिव्य नृत्य व प्रेमानंद शुरू हुआ। रुक्मिणी विवाह का वर्णन करते हुऐ कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने सभी राजाओं को हराकर विदर्भ की राजकुमारी रुक्मिणी को द्वारका में लाकर विधिपूर्वक पाणिग्रहण किया। प्रमुख रूप से भगवान कृष्ण का विवाह रुकमणी जी के साथ बड़े धूमधाम से कथा में मनाया गया जिसमें सभी से होता है उत्साहित होकर सम्मिलित हुए एवं बधाई हो पर नाचे कामाक्षी कृष्णा ओर कनिष्का रुक्मिणी का अभिनय किया मिवान भारद्वाज और अनय अवस्थी ने स्वागत किया मौके पर आयोजक मंडली की ओर से ममता शर्मा , निधि, प्रतिभा शर्मा आकर्षक वेश-भूषा में श्रीकृष्ण व रुक्मिणी विवाह की झांकी प्रस्तुत कर विवाह संस्कार की रस्मों को पूरा किया गया। कथा के साथ-साथ भजन संगीत भी प्रस्तुत किया गया। इस सात दिवसीय भागवत कथा का सफल संचालन के लिए आयोजक मंडली के साथ अलख अवस्थी यजमान स्वामी प्रसाद शर्मा कपिल शर्मा व उनके सहयोगियों का सराहनीय योगदान रहा।
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