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सागर में 200 साल पुराना मां खालमंत्रा का मंदिर


-मंदिर परिसर में हवा के झोंके से   हिलती है पत्थर की शिला
-हाथी की सूंडनुमा चट्‌टान में रहता है जल ।

सागर। जिले के के शाहगढ़ के पास सागर-छतरपुर नेशनल हाईवे से 500 मीटर अंदर घने जंगल में मातारानी का प्रसिद्ध प्राकृतिक स्थल है। इस क्षेत्र को शांतिधाम खालमंत्रा माता के नाम से जाना जाता है। चैत्र नवरात्र पर हर वर्ष करीब 200 साल पुराने माता के मंदिर में दर्शनों के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है। भक्त 64 खप्पर की स्थापना कर नौ दिनों तक माता की भक्ति में लीन रहते हैं।
माता मंदिर परिसर में मां खालमंत्रा की चमत्कारित महिमा देखने को मिलती है। यहां एक पत्थर की बड़ी शिला है जो पत्थरों की बड़ी चट्टानों के बीच आंशिक सहारे पर रखी हुई है जो तेज हवा-आंधी और तूफान में हिलती है। कई वर्षों से यह विशाल शिला यहां मौजूद हैं। लेकिन आज तक शिला को कोई क्षति नहीं पहुंची है। शिला के नीचे लगभग दो दशक पूर्व मंदिर का निर्माण कर देवीजी की स्थापना की गई थी। इस प्राचीन स्थान का नाम शांतिधाम खालमंत्रा है। गांव के बुजुर्गों की मानें तो खालमंत्रा माता का इतिहास शाहगढ़ नरेश बखतबली शाह की रियासत से जुड़ा है।
मंदिर परिसर में था राजा बखतबली का बैठका
क्षेत्र के लोग बताते हैं कि घने जंगल के बीच स्थित देवी मंदिर के ऊपर की ओर शाहगढ़ के राजा बखतबली शाह का बैठका हुआ करता था। यहां राजा अपने मंत्रियों के साथ खासमंत्रणा की बैठक करते थे। उस समय रियासतकाल में इस स्थान को खासमंत्रणा कहा जाता था। जिसका नाम समय के साथ बदला और अब लोग इस स्थान को खासमंत्रणा की जगह खालमंत्रा शांतिधाम के नाम से जानते हैं। नवरात्र में माता के दर्शन करने के लिए मंदिर में भक्तों की भीड़ लगती है। दूर-दूर से भक्त माता के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। भक्तों ने मंदिर का कराया निर्माण खालमंत्रा देवी धाम में कुछ वर्षों पहले ही भक्तों ने पर्वत की चट्टान के नीचे माता रानी की अलौकिक प्रतिमा की स्थापना की थी। इसी मंदिर के ऊपर एक विशाल चट्टान है जो तेज हवाओं के बीच हिलती नजर आती है। लेकिन कभी गिरती नहीं। इस चट्टान की प्राचीनता के बारे में की गई खोज अभी तक पूरी नहीं हो सकी। फिलहाल माता के भक्त माता का चमत्कार मानकर पूरे साल यहां पूजा और दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। गुरुपूर्णिमा पर्व पर शाहगढ़, अमरमऊ और आसपास के ग्रामों के लोग पूजा-अर्चना कर भंडारे का आयोजन करते हैं।
हाथीनुमा चट्टान के जल से दूर होते हैं रोग
खालमंत्रा मंदिर परिसर में जंगल के बीच एक विशालकाय चट्‌टान है। जिसका गणेश जी की सूंड की भांति कटाव है। सूंडनुमा कटाव में साल के 12 महीने शुद्ध जल भरा रहता है जो कभी खाली नहीं होता। मान्यता है कि इस कटाव (कुंड) में जमा जल को शरीर पर लगाने से खाज-खुजली जैसी कई गंभीर बीमारियां दूर होती हैं। इस जल की गहराई का माप अभी तक नहीं किया जा सका है।

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