तीन साल से जंजीरों में बंधी है जिंदगी, बाहर आती हैं चीखें
टीकमगढ़। सीलन भरा एक छोटा-सा कमरा कमरे से उठती दुर्गंध। एक चारपाई और पैरों में बंधी जंजीर , संभाग की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत चंदेरा गांव के 35 साल के हरिओम की जिंदगी की कुछ ऐसी ही कहानी है। हरिओम पिछले तीन साल से एक कमरे में कैद है। इस कमरे से अगर कुछ बाहर आता है तो सिर्फ उसकी चीखें, वह कभी नहीं निकल पाता। नित्य क्रिया भी कमरे में होती है। कभी गांव भर में आजादी से घूमने-फिरने वाले हरिओम की यह हालत इसलिए है, क्योंकि गरीबी के कारण उसके मानसिक रोग का इलाज नहीं हो पा रहा हैं। गरीबी में जी रही पत्नी मजदूरी करके अपने परिवार का जीवन चला रही है। ऐसे में कोरोना इस परिवार पर कहर बनकर टूटा। फिलहाल द लाइट्स टीम के संस्थापक इंजी.प्रसन्न ओमप्रकाश अहिरवार ही इस परिवार के खाने-पीने का इंतजाम कर रहे हैं। परिवार ने अधिकारियों से मदद की गुहार लगाई, लेकिन किसी ने सुध नहीं ली। मामला टीकमगढ़ जिले के जतारा जनपद में आने वाले चंदेरा गांव का है। हरिओम की पत्नी पिंकी बताती हैं कि उसके पति की पिछले आठ साल से तबीयत ठीक नहीं चल रही थी। इसी बीच हरिओम की मानसिक स्थिति बिगड़ने लगी। अजीब हरकतें करने लगा। इलाज मिलने पर हालत ठीक हो जाती, जैसे ही इलाज बंद होता, तबीयत फिर बिगड़ जाती। मानसिक स्थिति बिगड़ने पर हरिओम कभी घर से निकल जाता, तो कभी लोगों पर पत्थर फेंकने लगता, कभी कुएं में कूद जाता। पत्नी पिंकी ने बताया कि उसका पति किसी को नुकसान न पहुंचा दे इसलिए उसे घर में ही बांधकर रखना मजबूरी थी।
पति की हालत देख कर आ जाता है रोना
पत्नी का कहना है कि पति को इस तरह बांधना अच्छा नहीं लगता। कभी-कभी तो उन्हें देखकर रोना आ जाता है, लेकिन क्या करें इलाज के लिए पैसे भी नहीं हैं। पहले ग्वालियर में भी इलाज कराया था। पिंकी का कहना है कि पति कई बार चीखते हैं, खोल देने की गुजारिश करते हैं, लेकिन क्या करें मजबूरी है।
इनका कहना है
दिखवाता हूं जतारा एसडीएम से बात करके एसडीएम को भेजकर हरिओम को आजाद करा दिया जाएगा।
सुभाष कुमार द्विवेदी
कलेक्टर टीकमगढ़
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