बकस्वाहा बन्दर हीरा खदान: जंगल कटने को लेकर पर्यावरण प्रेमियों में रोष, अपने अपने तरीके से कर रहे विरोध
छतरपुर। जिले के बकस्वाहा के जंगल में प्रचुर मात्रा में हीरा मिलने की संभावनाओं के चलते रियो टिंटो के बंदर प्रोजेक्ट को बिरला ग्रुप को सौंपा गया है। इस प्रोजेक्ट में हजारों लाखों पेड़ों के काटे जाने की खबरों के सामने आने पर पर्यावरण प्रेमियों ने इस प्रोजेक्ट को तत्काल निरस्त करने की मांग की है। देश भर के पर्यावरणविद लामबंद हो रहे हैं। क्योंकि इस खदान को बनाने के लिए सैकड़ों एकड़ में फैले लगभग 3 लाख 30 हजार पेड़ के जंगल को नष्ट किया जाएगा।
भोपाल के वरिष्ठ समाजसेवी सह पर्यावरणविद चौधरी भूपेंद्र सिंह, पर्यावरणविद करुणा रघुवंशी ने इस पर रोष प्रकट करते हुए मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित कर बंदर प्रोजेक्ट को निरस्त करने की मांग की है। पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि बिरला कंपनी को जो बंदर प्रोजेक्ट सौंपा गया है उसके संचालित करने में सैकड़ों एकड़ में फैले जंगल के सागौन, इमरती, इमली, अजुर्न, सेमल के अलावा औषधीय पेड़, पौधे सहित लगभग 3 लाख तीस हजार हरे भरे वृक्षों को काटा जाएगा।
वृक्षों के काटे जाने से ऑक्सीजन का संकट सामने आ जाएगा हजारों लाखों की तादाद में जीव जंतु पंछी एक तरह से मौत के घाट उतार दिये जाएंगे ।
कोरोना महामारी में हुई मौतों में अधिकतर लोग ऑक्सीजन न मिलने से जान गवा बैठे हैं। ज्ञापन में सरकार का ध्यान आकृष्ट कराते हुए उल्लेख किया गया है कि एक स्वस्थ वृक्ष से प्रतिदिन 230 लीटर ऑक्सीजन मिलती है जिससे 7 लोगों को प्राणवायु प्राप्त होती है आकलन करें तो 5 करोड़ 29 लाख लीटर ऑक्सीजन प्रतिदिन मिलती है। कुल वृक्षों की संख्या से औसतन 75 लाख 57 हजार नागरिकों को ऑक्सीजन प्राप्त हो रहा है।
जंगल की कटाई से सीधा असर पर्यावरण पर पड़ेगा और तापमान में काफी वृद्धि होगी इस तापमान को संतुलित करने में कम से कम 50 वर्ष तक का समय लग सकता है। हमारा देश वर्तमान समय मे कोरोना के कारण ऑक्सीजन की समस्या से जूझ रहा है संकट गहराता जा रहा है इस सम्बंध में देशभर के पर्यावरण संरक्षकों से वार्ता की जा रही है। चौधरी भूपेंद्र सिंह, प्रताप संस्थान बरेली, पं अनिल तिवारी कटनी , युद्धघोष संस्था के संयोजक कमलेश कुमार, पीपल, नीम, तुलसी अभियान के प्रमुख डॉ धर्मेंद्र कुमार बिहार ,रणवीर रघु अशोक नगर, कैप्टन राज द्विवेदी सतना, सुदेश बाघमारे, रोहित शर्मा इन्दौर , रणदीप सिंह, श्रीमति आशा सेठ, रितेश जैन, अखिल खरे, हेमन्त चौधरी सहित सैकड़ों पर्यावरण संस्थाएं एकजुट हो रही है।
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