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एनजीओ के हाथों में है नगर की सफाई व्यवस्था की बागडोर ,कामगार गए हड़ताल पर कैसे हो नगर व्यवस्थित

 नगरीय व्यवस्थाएं पूर्णता चौपट ,सफाई व्यवस्थाएं बदतर पेयजल व्यवस्था चौपट ।
एक बार 5 साल बाद जनता को व्यवस्थाएं दुरस्त कराने के लिए चुनाव में सभी मांगे उठने लगी 
विरोधी विपक्षी इन्हीं तमाम मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएंगे ।

 टीकमगढ़ /पलेरा (मनीष यादव) :-नगर की विभिन्न में मूलभूत व्यवस्था एवं आवश्यकताएं की जिम्मेदारी नगरीय प्रशासन की होती है ताकि नगर की व्यवस्थाएं सुव्यवस्थित रुप से संचालित हो सके लेकिन इन व्यवस्थाओं  साफ-सफाई पेयजल बाजार बैठक सड़क किनारों को व्यवस्थित करना जब नगरी प्रशासन उदासीन रवैया अपनाए तो भला नगर कैसे सुव्यवस्थित रहेगा ऐसा ही कुछ आलम आजकल नगर परिषद पलेरा का देखने को मिल रहा है जहां पर सभी नगरीय व्यवस्थाएं पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी हैं यह सब नगर परिषद के अधिकारी कर्मचारियों के द्वारा विभिन्न दिशा निर्देश जारी कर अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं जिसमें स्वच्छता अभियान पर विशेष जोर प्रदेश सरकार एवं केंद्र सरकार का बना हुआ है किंतु नगर में इसकी बद से बदतर स्थिति देखने को मिल रही है यहां पर जगह-जगह कचरे ढेर कहीं-कहीं कचरे का साम्राज्य देखा जा सकता है जिसमें कई जगह तू नालियों से बदबू तक आना प्रारंभ हो चुकी है साथ ही साफ साफ सफाई ना होने से नगर में बढ़ रहे मच्छरों के द्वारा विभिन्न बीमारियां फैलने का डर भी इस गर्मी के मौसम में बना हुआ है उदासीन रवैया के चलते आमजन को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है उनकी समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है सफाई व्यवस्था के बदतर हालात में है नगर की साफ सफाई एवं स्वच्छता को लेकर जहां शासन ढिंढोरा पीट रहा है तो वही नगर में कई वार्डों में ढेरों का अंबार लगा हुआ जिनको लेकर कोई खास कदम नगरीय  शासन प्रशासन द्वारा नहीं उठाया जा रहा है साफ सफाई की व्यवस्थाएं सुव्यवस्थित नहीं हो पा रही नगर की पेयजल व्यवस्थाएं लंबे समय से  लड़खड़ाई हुई है पलेरा में भी जल आवर्धन योजना के तहत नगर से 5 किलोमीटर दूर स्थित और नदी के पानी से पानी की पेयजल व्यवस्था को सुधारने का काम किया गया था यह जल नगर की पेयजल व्यवस्था है लंबे समय से गड़बड़ चल रही हैं आए दिन नलों के माध्यम से की जाने वाली पेयजल सप्लाई बंद रहती है इस गर्मी के मौसम में जहां पानी की अत्यधिक आवश्यकता होती है वहीं पेयजल व्यवस्था की इस तरह की गड़बड़ी स्थिति के चलते लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि अधिकांश लोग अब नल व्यवस्था पर निर्भर हो चुके हैं किंतु इस और भी कोई सार्थक प्रयास नगरीय प्रशासन द्वारा अभी तक नहीं किया जा रहा पेयजल आवर्धन योजना 14 करोड़ से भी अधिक की लागत से चालू कराई गई थी जिससे नगर के लोगों को आशा थी कि अब उन्हें पानी की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा लेकिन इसके बावजूद भी अनेक बार पानी की समस्या से नगर जूझना पड़ता है उनके बंद होने पर लोगों को बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ता है पानी के पुराने जलस्रोत जैसे कुआ आदि खत्म हो गए हैं ठेकेदार की गैर जिम्मेदारी रवैया मनमानी के चलते जल आवर्धन योजना प्रारंभ होने के बाद ठेकेदार की लापरवाही के चलते ठेकेदार की मनमानी गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाने के कारण नगर में बिछाई गई पाइप लाइन से जगह-जगह  पानी बेवजह नगर की नालियों से बहकर बर्बाद होता जा रहा है किंतु ठेकेदार द्वारा इनको ठीक कराने का कार्य नहीं किया जा रहा है वही नदी पर लगे हुए वाटर प्लांट से जब नगर की सप्लाई पानी भरने का कार्य किया जाता है तो उस समय भी ओवरफ्लो का हजारों लीटर पानी घंटों नालियों में बह कर  चला जाता है

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