सिविल सर्जन डॉ चौधरी ने कहा कि इसके अतिरिक्त पशुओं व कृषि के क्षेत्र में भी एन्टीबायोटिक दवाओं का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है जिसके कारण भी एन्टीबायोटिक दवाएं बेअसर होती जा रही है । इस समस्या से निजात पाने के लिए पूरे विश्व भर में व्यापक प्रयास किये जा रहा है । डब्ल्यू एच.ओ द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में पूरे विश्व में एन्टीमाईक्रोबियल प्रतिरोध के कारण 07 लाख मौते प्रतिवर्ष होती है , यदि इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाएं गए तो यह आंकडा वर्ष 2050 तक 01 करोड़ प्रति वर्ष पहुंच सकता है । भविष्य में परिलक्षित होने वाले गंभीर परिणामों को देखते हुए म.प्र . स्वास्थ्य विभाग द्वारा विगत दो वर्षों से सतत प्रयास किये जा रहे है ,
जिसके परिणाम स्वरूप विभाग द्वारा वर्ष 2018 में एन्टीबॉयोटिक पॉलिसी का निर्माण किया गया । इस पॉलिसी को स्वास्थ्य विभाग एवं एम्स भोपाल के संयुक्त प्रयासों से विकसित किया गया हैं । इस क्षेत्र में किये जा रहे प्रयासों का विस्तार करते हुए अन्य विभागों जैसे वेटनरी फूड एवं ड्रग , पशुपालन व डेयरी विभाग , कृषि विभाग को भी सम्मिलित करते हुए स्वास्थ्य विभाग द्वारा एन्टीमाईक्रोबियल रेजिस्टेन्स को रोकथाम हेतु राज्य स्तरीय एक्शन प्लान का निर्माण किया गया है । जिसका उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में एन्टीबॉयोटिक दवाओं के अनियंत्रित उपयोग की रोकथाम , एन्टीबायोटिक दवाओं के उपयोग संबंधी विभाग वार दिशा – निर्देश व विभिन्न स्टेट होल्डर्स एवं जन समुदाय में जागरूकता लाने हेतु निति तय करना है ।
प्रशिक्षित जीस्टेन्स में कमी लाने के उद्देश्य से हर स्वास्थ्य संस्थाओं हेतु जिलों एवं ब्लॉक के धिकारीयों को मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षण प्रदाय किया गया है । वर्तमान में उपरोक्त विभागों के अतिरिक्त निजि चिकित्सालय व दवा विक्रेताओं को भी अभियान में सम्मिलित किया गया है ।
इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य विभाग ने एम्स भोपाल व ई.सी.एम. आर . के सहयोग से एन्टीबॉयोटिक दवाओं के उपयोग व दवाओं के प्रति मास्टर ट्रेनर अपनी स्वास्थ्य संस्थाओं में राज्य एन्टीबॉयोटिक पॉलिसी एवं टेण्डर्ड ट्रीटमेन्ट गाईडलाइन का पालन करते हुए एन्टीबॉयोटिक दवाओं को प्रिस्क्राईब करेंगे ।
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