हमले में मारे गए थे 166 लोग
ट्राइडेंट होटल, सायन अस्पताल, वीटी रेलवे स्टेशन और यहूदी पूजा स्थल पर लश्कर-ए-तैयबा आतंकियों के हमले में 18 सुरक्षाकर्मियों समेत 166 लोगों की मौत हुई थी। करीब 60 घंटों तक आतंकवादियों ने होटल और कई दूसरे स्थानों को बंधक बनाकर रखा था। इस हमले में तीन सौ से ज्यादा लोग घायल हुए थे। नौ आतंकी भी मारे गए थे और एक को जिंदा पकड़ लिया गया था।
तटीय सुरक्षा बढ़ाई गई
पाकिस्तान से आतंकी समुद्र के रास्ते मुंबई पहुंचे थे। हमले के बाद सरकार ने इस ओर ध्यान दिया और देश के तटों की सुरक्षा मजबूत की गई। भारतीय तटों की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी नौसेना को सौंप दी गई। इंडिया कोस्ट गार्ड इस काम में उसकी मदद करता है। समुद्री पुलिस की स्थापना की गई, जो समुद्र में पांच नौटिकल माइल्स तक की सुरक्षा करती है।
इंटरनेट मीडिया पर पाकिस्तान की घेराबंदी
पाकिस्तान से अपनी आतंकी गतिविधियां चलाने वाले संगठन इंटरनेट मीडिया के जरिये धार्मिक कट्टरता फैलाते हैं। इसको देखते हुए भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इंटरनेट मीडिया पर भी इन संगठनों की घेराबंदी की और ऐसा तंत्र विकसित किया, जिससे भारतीयों पर उनका प्रभाव नहीं पड़ने पाए।
पुलिस कानूनों में सुधार किए गए
मुंबई हमले के बाद सरकार ने कई पुलिस कानूनों में कई सुधार किए। सुरक्षा बलों को अत्याधुनिक हथियारों और संचार उपकरणों से लैस किया गया। राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसडी) के कमांडो उस समय हवाईअड्डे पर आठ घंटे तक इंतजार करते रह गए थे और उन्हें विमान नहीं मिला। इस तरह की खामियों को दूर किया गया। एनएसजी के पूर्व निदेशक जेके दत्त कहते हैं, 'तब एनएसजी के महानिदेशक के तौर पर मेरे पास विमान अधिग्रहित करने का अधिकार नहीं था। अब नियम बदल गए हैं। अब लोगों की सुरक्षा और सेवा के लिए डीजी को भारत में रजिस्टर्ड किसी भी ऑपरेटर से विमान लेने का अधिकार है।
संकट में त्वरित निर्णय की व्यवस्था
सरकार ने संकट की घड़ी में त्वरित निर्णय लेने का एक तंत्र भी स्थापित किया है। अब इसके लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ता और कई विभागों का मुंह नहीं ताकना पड़ता। इसका बेहतरीन उदाहरण पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी ठिकाने पर हुआ हमला है। पिछले साल पुलवामा में आतंकी हमले के बाद सरकार ने तुरंत फैसला किया और 15 दिन के भीतर पाकिस्तान को इसका जवाब मिल गया।
पाकिस्तान ने नहीं की कार्रवाई
मुंबई हमले में अजमल अमीर कसाब नामक आतंकी जिंदा पकड़ा गया था। दुनिया में शायद यह पहला आतंकी हमला था, जिसमें कोई आतंकवादी जिंदा पकड़ा गया था। उसने दुनिया के सामने पाकिस्तानी की सच्चाई ला दी थी। भारत में कानूनी प्रक्रिया के बाद कसाब को फांसी पर लटका दिया गया। लेकिन पाकिस्तान में आतंकी हमले के मुख्य साजिशकर्ता खुलेआम घूम रहे हैं। पाकिस्तान कार्रवाई के नाम पर तरह के तरह के बहाने बनाता है।
पूर्ण न्याय चाहता है भारत
इस मामले में स्पेशल पब्लिक प्रासीक्यूटर रहे उज्ज्वल निकम कहते हैं कि हम पूर्ण न्याय चाहते हैं। इसके लिए जरूरी है कि पाकिस्तान में बैठकर हमले की साजिश रचने वालों को न्याय के कठघरे में लाया जाए। भारत ने लश्कर ए तैयबा के सरगना हाफीज सईद और जकीर रहमान लखवी को सौंपने का पाकिस्तान से आग्रह किया है, लेकिन अभी तक कोई फायदा नहीं हुआ है।
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