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खनिज विभाग की उदासीनता के चलते पहाड़ियों एवं खनिज संपदाओं का अस्तित्व संकट में ।



दुर्लभ प्रजातियों की जड़ी बूटियों के पौधे भी पहुंचे  विलुप्त होने की कगार पर ।
 ललितपुर (रमेश श्रीवास्तव) । जिले में खनिज विभाग की उदासीनता एवं मिली भगत के चलते अवैध खनन का कारोबार खूब फल फूल रहा है । जिम्मेदार अधिकारी अपने कर्त्तव्यों को भूलकर सिर्फ धन बटोरने में लगे हैं । वहीं खनन माफिया जंगलों,पहाड़ो पर स्थित  हरे भरे पेड़ पौधों को नष्ट कर मौरंग खुदाई एवं खण्डों की तुड़ाई के नदी नालों से बालू आदि का खनन करने के साथ साथ  बिक्री का अवैध कारोबार भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा । खनिज संपदाओं की सुरक्षा के लिए बनाया गया खनिज विभाग अवैध खनन के कारोबार को रोकने में नाकाम साबित हो रहा है ।तो वहीं खनिज,राजस्व और पुलिस विभाग का टास्क फ़ोर्स भी अवैध खनन के कारोबार को रोकने में अपनी दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है । जिसके चलते पेड़ पौधों और जड़ी बूटियों के अस्तित्व को ही गंभीर संकट उत्पन्न हो रहा है। जंगलों और पहाड़ों को नष्ट कर उनसे भारी मात्रा में जेसीबी के द्वारा मोरंग, खंडा, ग्रेनाइट, बालू और गिट्टी निकालकर अवैध रूप से बेचने का कार्य खनिज माफिया के द्वारा लगातार जारी है ।विगत दिनों भारतीय जनता पार्टी के मंडल अध्यक्ष श्यामबिहारी कौशिक ने पटोरा कला में अवैध रूप से उनके जिले के सर्वोत्कृष्ट बगीचे के पास में अवैध मोरम की खुदाई कर बाउंडरी को क्षतिग्रस्त करने का मामला खनिज अधिकारी के समक्ष उठाया था। इस संबंध में खनिज अधिकारी ने उनके साथ अभद्रता पूर्ण व्यवहार कर अशिष्टता का बर्ताव किया था।उनके द्वारा कागजी  खानापूर्ति करते हुए एक जांच समिति नियुक्त कर दी थी ।परंतु अवैध खुदाई के कार्य पर रोक नहीं लगाई गई ।इसके चलते हजारों घन मीटर मोरंग खोद खोद कर शहर में बेच दी गई ।इस संबंध में जब खुदाई करने वालों से बात की गई तो उनका कथन था कि यह मोरंग रेलवे की नई लाइन बिछाने में प्रयोग की जा रही है ।जब उनसे खनिज रॉयल्टी के बारे में पूछा गया तो उनका कथन था कि इस संबंध में खनिज अधिकारी से मौखिक बात हो चुकी है।  कस्बा जाखलौन में नारसिंह मंदिर के पीछे, गणेशपुरा श्मशान घाट के पास, गढ़न में और टोरिया के पास लाखों घन मीटर  मोरंग की खुदाई कर अवैध तरीके से खनन कर्ताओं द्वारा बेच दिया गया है।  जाखलौन ऐरा की सीमा पर स्थित टोरिया जिस पर सिद्ध बाबा का मंदिर है और हजारों श्रद्धालु इस मंदिर पर प्रतिवर्ष आते हैं इस टोरिया को भी अवैध खनन कर्ताओं ने नहीं बख्शा। जेसीबी डंपर और बड़ी-बड़ी मशीनें लगाकर इस टोरिया की खुदाई का कार्य भी बड़े पैमाने पर किया गया। श्रद्धालुओं की जागरूकता और विरोध के कारण इस खनन कार्य को श्रद्धालुओं द्वारा बंद करवा दिया गया था। इसी प्रकार गणेशपुरा श्मशान घाट के पास एक पहाड़ जो किसी समय हरे-भरे वनों से आच्छादित रहता था उस पहाड़ को भी अवैध खनन कर्ताओं ने चारों ओर से खुदाई कर मोरम बेचने का कार्य लगा दिया है।यदि इस पर रोक नहीं लगाई गई तो बहुत जल्दी ही इस पहाड़ का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। बताते चलें कि इन पहाड़ों पर कई दुर्लभ प्रजाति की जड़ी बूटियों के पेड़ पौधे पाए जाते थे परंतु अवैध खुदाई से पहाड़, पेड़ पौधे और जड़ी बूटियों के अस्तित्व को ही गंभीर संकट पैदा हो गया है। वहीं नियमानुसार कार्य करने वाले ठेकेदारों का जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा सहयोग नहीं किया जाता उनकी अबैध मांग पूरी न करने पर तरह तरह से उत्पीड़न किया जाता है । यैसा ही एक मामला सुनवाहा पुतली घाट पर बालू के एक ठेकेदार का सामने आया है । ठेकेदार ने 5 साल के लिए बालू खनन का पट्टा प्राप्त किया था। परंतु अधिकारियों की अवैध मांग पूरी न कर पाने के कारण उसे तरह-तरह से धमकाया और परेशान किया जा रहा है।  उसके क्षेत्र में अवैध रूप से खनन माफियाओं द्वारा बालू निकाली गयी ।जब उसके द्वारा अपर जिलाधिकारी से ठेकेदार द्वारा अवैध खनन की शिकायत की गई तो उसका प्रार्थना पत्र को फाड़ कर फेंक दिया गया और उसी पर झूठा अवैध खनन का आरोप जड़ दिया गया तथा सत्रह लाख की पेनाल्टी का नोटिस भी थमा दिया गया।जब यह प्रकरण प्रभारी मंत्री के संज्ञान में आया और ये प्रमाणित हो गया कि ठेकेदार लगातार अवैध खनन की शिकायत करता आ रहा है तब उसका नोटिस वापिस लिया गया।मौके पर जब्त की गई 1379 घन मी0 बालू जिसकी कीमत कम सेे  कम 10 लाख रुपये होती है।इस बालू की नीलामी के लिए समाचार पत्रों में  दो बार प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई  और दोनों बार  इसे निरस्त कर दिया गया।तीसरी बार बिना विज्ञप्ति के इस बालू को अपने चहेतों को  मात्र दो लाख अस्सी हजार रुपये मेंं दे दी। जब संबंधित ठेकेदार ने अपर जिलाधिकारी को इस  संबंध में प्रार्थना पत्र दिया तो अपर जिलाधिकारी ने उसे फाड़ कर फेंक दिया । जबकि जब्त की गयी 1379घन मी0 बालू एक स्थानीय व्यक्ति की सुपुर्दगी में भी दी  गयी थी ।दस लाख रुपए से अधिक कीी   बालू की नीलामी मात्र ₹228000 में कर दी गई। शेष बालू कहां गई यह यक्ष प्रश्न आज भी बन कर खड़ा हुआ है ।
 गत दिवस  प्रभारी मंत्री के आगमन पर भाजपा नेताओं ने कई शिकायती पत्र सौंप कर शिकायतें की गई जिनमें इन अधिकारियों को चिन्हित कर उनके विरुद्ध जांच की मांग की गई । इस संबंध में संबंधित व्यक्तियों ने अपर जिलाधिकारी के समक्ष शिकायत करने की कोशिश की तो उनके प्रार्थना पत्र को फाड़ कर फेंक दिया गया तथा उनके साथ अभद्रता पूर्ण व्यवहार किया गया इसी प्रकार गत दिनों मध्यप्रदेश की खदान से एक ट्रक पत्थर भरकर आ रहा था जिसको खनिज निरीक्षक के द्वारा रोका गया। समस्त कागजात होने के बाद भी एक ₹50 की रसीद न होने पर  ट्रक चालक से अवैध रूप से ₹10000 की मांग की गई। मांग पूरी ना करने पर ट्रक का चालान कर कोतवाली में रखवा दिया गया। जानबूझकर खनिज निरीक्षक द्वारा ट्रक के विरुद्ध मनमानी कार्यवाही कर ट्रक मालिक को मजबूर किया गया कि अब भविष्य में वह सुविधा शुल्क देकर ही परिवहन का कार्य करें। ऐसी खनिज विभाग की तमाम शिकायतों को गत दिवस प्रभारी मंत्री के आगमन पर भाजपा के नेताओं द्वारा उनके संज्ञान में लाया अब देखने की बात यह है कि इन अधिकारियों के विरुद्ध कोई जांच अथवा कार्यवाही होती है अथवा नहीं ।

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