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ट्रेनों के बंद होने से दुकानदारों पर पड़ा गहरा प्रभाव ।


        ललितपुर के रेलवे स्टेशन पर पसरा सन्नाटा ।

ललितपुर। मध्य प्रदेश की सीमाओं से घिरा दिल्ली मुंबई राज्य मार्ग स्थित ललितपुर स्टेशन कोरोना कॉल पूर्व दिन हो या रात अच्छी खासी चहल-पहल रहती थी। लेकिन आज यहां गिनी चुनी गाडिय़ां गिने-चुने यात्री निकल रहे हैं। इस स्टेशन पर इस वैश्विक महामारी से पूर्व 38 गाडिय़ां आना और जाना। इस कारण से यहां अनेक लोगों की रोजगार के साथ स्टेशन से लगा हुआ। बाहर का बाजार भी गुलजार हुआ करता था, लेकिन आज यह मात्र सपना रह गया है। यहां के दुकानदारों ने अब आस छोड़ दी है। उनका कहना है कोरोना जैसी महामारी इससे पूर्व कभी नहीं आई। आज इस महामारी से भारत क्या पूरा वल्र्ड जूझ रहा है और पता भी नहीं है। इस महामारी से  कब निजात मिलेगी ट्रेनों के आवागमन नहीं बढऩे से जनपद की यात्री निजी वाहनों से आना-जाना कर रहे हैं। यात्रियों का कहना है कि सामान्य तौर पर तो कहीं नहीं जा रहे हैं लेकिन बीमारी का इलाज कराने दुख में जाना मजबूरी सा हो गया है। होटल व्यवसाई भी इस महामारी से प्रभावित हुए हैं वही छोटी-छोटी चाय पान की दुकान के संचालक भी भारी प्रभावित हैं। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों का यात्री जो पैसेंजर ट्रेन थी। अपना यात्रा से करता था वह भी 5 महीनों से जनपद में नहीं आया ललितपुर स्टेशन की बाहर करीब 15 होटल संचालित जिसमें से मात्र तीन चार ही खुल रहे हैं। उनका भी कारोबार नहीं चल रहा है। आज दिन का सामान बन जाता है और उनको जानवरों को डालना पड़ता है। खैर जो भी हो इस महामारी का प्रकोप भले ही कम हो गया हो लेकिन आम पब्लिक ट्रेनों में यात्रा करने से डर रही है। उसे अभी भी कोरोना का खौफ है वही केंद्र और राज्य की सरकारें भी अभी तक ट्रेनों का संचालन पूर्ण रूप से नहीं कर पा रही हैं।

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