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तर्पण और श्राद्ध के साथ पितृ पक्ष की हुई सुरुआत ।

नदी तालाबों बांधों में पंहुचकर लोगों ने तर्पण कर पितरों को किया आमंत्रित ।

ललितपुर ( रमेश श्रीवास्तव ) । बुधवार को स्नान दान एवं वृत  पूर्णिमा के दिन से पितृ पक्ष की सुरुआत हो गई इस दिन लोगों ने प्रातः काल अपने अपने क्षेत्र के नदी तालाब, बांध एवं अन्य जल स्रोंतों पर पहुंच कर  लोगों ने तर्पण कर अपने पूर्वजों पितरों को आमंत्रित किया इसी के साथ 15 दिन तक चलने वाले पितृ पक्ष की शुरुआत हो गई ।
2 सिंतम्बर बुधवार को स्नान दान एवं व्रत पूर्णिमा के दिन से 15 दिन तक चलने वाले पितृ पक्ष की सुभारंभ हो गया पूर्णिमा के दिन सुबह बड़ी संख्या में लोगो ने जलाशयों में पहुंच कर पंडितों एवं पुरोहितों के नेतृत्व में मंत्रोंच्चारणों के साथ विधिवत रुप से तर्पण कराया साथ ही पितरों का आवाह्न करते हुए उन्हें आमंत्रित किया गया । ललितपुर में मानसरोबर तालाब ,गोबिंद सागर बांध पर बड़ी संख्या में तर्पण करने के लिए लोगों की सुबह  से ही  लोगों की अच्छी खासी भीड़ जमा हो गई थी जो दोपहर तक घाटों पर दिखाई दी ।पूर्वजों को श्रद्धापूर्वक याद करने और उनके प‍िंडदान का पक्ष यानी क‍ि पितृ पक्ष आज से शुरू हो चुका है। इस बार प‍ितृ पक्ष 2 स‍िंतबर से 17 स‍ितंबर तक है। शास्त्रों में बताया गया है कि इस पक्ष में पितरों का तर्पण और श्राद्ध किया जाना चाहिए। नवरात्र को जैसे देवी पक्ष कहा जाता है उसी प्रकार आश्विन कृष्ण पक्ष से अमावस्या तक को पितृपक्ष कहा जाता है। लोक मान्यता के अनुसार, और पुराणों में भी बताया गया है कि पितृ पक्ष के दौरान परलोक गए पूर्वजों को पृथ्वी पर अपने परिवार के लोगों से मिलने का अवसर मिलता और वह पिंडदान, अन्न एवं जल ग्रहण करने की इच्छा से अपनी संतानों के पास रहते हैं। इन दिनों मिले अन्न और जल से पितरों को बल मिलता है और इसी से वह परलोक के अपने सफर को तय कर पाते हैं। इन्हीं की शक्ति से वह अपने परिवार के सदस्यों को आशीर्वाद देकर उनका कल्याण करते हैं। 
इस अवसर पर जातक अपने दोनों हाथों में कुश  लेकर एवं दोनों हाथों को जोड़कर पितरों का ध्यान करते हुए उन्हें आमंत्रित करते हुए - ‘ओम आगच्छन्तु में पितर एवं ग्रहन्तु जलांजलि अर्थात , हे पितरों, पधारिये और जलांजलि ग्रहण कीजिए।

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